Civil engineering Notes in Hindi : Railway ALP

Civil engineering Notes in Hindi

Hello Friends, 


Today we are sharing Civil engineering Notes in Hind (Railway ALP). Which is very useful Railway ALP




  • अधिकतर औद्योगिक अनुप्रयोगों में डी.सी. शक्ति (D.C.power) की आवश्यकता भी होती है। विद्युत पावर स्टेशनों में मूलतः A.C. विद्युत शक्ति का उत्पादन होता है। इसे डी.सी. शक्ति में परिवर्तित | करने के लिए रेक्टीफायर्स तथा कनवर्टर्स प्रयोग किये जाते हैं।

  • मरकरी आर्क दिष्टकारी-इसमें एक काँच का शून्यीकृत (evacuated) बल्ब होता है जिसकी तली में मरकरी भरा रहता है तथा ऊपरी भाग में ग्रेफाइट का बना ऐनोड होता है। बल्ब में मरकरी कैथोड का कार्य करता है। कैथोड तथा एनोड से प्लेटिनम के तार बल्ब से बाहर निकाले जाते हैं तथा जहाँ से ये सिरे बाहर निकालते हैं, उस स्थान को अच्छी तरह से सील कर दिया जाता है। ये दिष्टकारी स्वचालित नहीं होते। इनको प्रारम्भ करने के लिए मरकरी पूल में एक इग्नाइटर लगाया जाता है। इग्नाइटर पर एक अल्प काल की धारा स्पंद (current pulse) प्रयोग की जाती है। जिससे मरकरी तथा इग्नाइटर के स्पर्श बिन्दु पर इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि यहाँ से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होने लगता है। | कॉपर ऑक्साइड दिष्टकारी में एक शुद्ध ताम्र की प्लेट प्रयुक्त की जाती है जिस पर क्यूप्रस ऑक्साइड की पतली परत चढ़ा दी जाती है। इस दिष्टकारी का प्रतिरोध ऑक्साइड से ताम्र की ओर कम तथा विपरीत दिशा में अधिक होता है। इस प्रकार यह ताम्र तथा कॉपर ऑक्साइड का संयोजन एक ही दिशा में धारा प्रवाहित कर दिष्टकारी की भाँति कार्य करता है।

  • सेलेनियम दिष्टकारी में एल्युमिनियम या इस्पात की एक निकिल । कोटेड प्लेट होती है जिस पर सेलेनियम की एक पतली पर्त चढ़ायी जाती है। सेलेनियम की सतह पर टिन तथा कैडमियम की मिश्रधातु का स्प्रे किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त संयोजन एक P-N डायोड का कार्य करता है। इस्पात से सेलेनियम की ओर कम प्रतिरोध तथा विपरीत दिशा में बहुत अधिक प्रतिरोध होता है। इस रेक्टीफायर की दक्षता लगभग 78% होती है।

  • मोटर जेनरेटर विधि : इस विधि में किसी स्थिर-गति की पॉली-फेज प्रत्यावर्ती धारा मोटर (polyphase a.c. motor) को डी.सी. जेनरेटर से युग्मित किया जाता है। सेट की इनुपट A.C. शक्ति तथा सेट की आउटपुट D.C. शक्ति होती है।
  • मोटर कनवर्टर सेट : इस उपकरण में एक स्लिप रिंग प्रेरण मोटर तथा D.C. जेनरेटर वैद्युत तथा यांत्रिक रूप से (electrically and mechanically) युग्मित होते हैं। मोटर के रोटर की कुण्डली 12 फेज के लिए कुण्डलित (wound) होती है तथा सामान्य प्रचालन अवस्था में स्टार संयोजित रहती है। D.C. जेनरेटर के आर्मेचर पर 12 Tappings होती हैं। मोटर का स्टेटर त्रिफज A.C. सप्लाई से संयोजित रहता है। जेनरेटर के कम्यूटेटर से D.C. सप्लाई प्राप्त होती है।

  • रोटरी कनर्वटर : रोटरी कनवर्टर की संरचना दिष्ट धारा मशीन के लगभग समान ही होती है। इस मशीन में एक आर्मेचर के (जो सामान्य आर्मेचर से थोड़ा भिन्न होता है) एक सिरे पर कम्यूटेटर तथा दूसरे सिरे पर स्लिप रिंग लगी होती है। आर्मेचर तथा दिक्परिवर्तक का आकार साधारण दिष्ट धारा आर्मेचर की अपेक्षा बड़ा होता है, क्योंकि इससे अधिक धारा प्राप्त करनी होती है। इनकी क्षेत्र प्रणाली भी लगभग दिष्ट धारा मशीन के समरूप होती है। क्षेत्र प्रणाली शण्ट या कम्पाउण्ड हो सकती है। इस मशीन में प्रायः दिक्परिवर्तन की सहायता के लिए अन्तर्भुव (interpole) तथा मुख्य ध्रुवनालों में डेम्पर कुण्डलन लगाने का प्रबन्ध नहीं किया जाता है।

  • D.C. साइड से प्रारम्भ करना : रोटरी कनवर्टर को प्रायः A.C. से D.C. में परिवर्तित करने के लिए ही प्रयोग किया जाता है। ऐसा अवसर कम ही आता है जब रोटरी कनवर्टर को D.C. से A.C. में परिवर्तित करने के लिए प्रयोग किया जाये। यदि आवश्यकता हो तो कनर्वटर के A.C. साइड का स्विच open कर कनवर्टर दिष्ट धारा की ओर से प्रारम्भ किया जाता है। इस स्थिति में परिवर्तक दिष्ट धारा (शण्ट या कम्पाउण्ड) मोटर के रूप में स्टार्ट होती है। जब परिवर्तक अपनी तुल्यकाली गति प्राप्त कर लेता है तब इसे A.C. बस बार से तुल्यकालित (Synchronise) कर देते हैं तथा यह परिवर्तक A.C. जेनरेटर के रूप में कार्य करने लगता है। A.C. साइड से प्रारम्भ करना : रोटरी कनवर्टरों को प्रायः
  • A.C. साइड से प्रारम्भ किया जाता है। परिवर्तकों के Self-starting बनाने के लिए तथा फेज दोलन को कम करने के लिए परिवर्तक के मुख्य ध्रुव मुखों (pole faces) पर अवमन्दक कुण्डलन प्रयोग की जाती है। प्रारम्भ के समय दिष्ट धारा साइड पर कम्यूटेटर पर से | ब्रुशों को उठा लिया जाता है तथा A.C. साइड पर ऑटो ट्रांसफार्मर | की सहायता से स्लिप रिंगों पर निम्न वोल्टता प्रयुक्त की जाती है। जब परिवर्तक का आर्मेचर तुल्यकाली गति प्राप्त कर लेता है तब आर्मेचर तथा घूर्णीय (rotating) फ्लक्स के मध्य सापेक्ष वेग शून्य हो जाता है। रोटरी कनवर्टर के D.C. साइड की ओर के स्विच को बन्द कर देते हैं। इस प्रकार परिवर्तक बस बार को D.C. शक्ति सप्लाई करने लगता है।

  • सहायक मोटर द्वारा प्रारम्भ करना : इस विधि में एक प्रेरण मोटर को रोटरी कनवर्टर के क्षेत्र परिपथ को बन्द रखते हुये, इसे सहायक मोटर से चलाया जाता है। इससे उचित दिशा में वोल्टेज ठीक उसी प्रकार उत्पन्न होती है जैसे शण्ट जेनरेटर | को पूर्ण गति पर लाने से होती है। स्लिप रिंगों को प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) साइड से प्रारम्भ करने वाली सहायक मोटर के एक स्टेटर फेज में परिवर्ती (adjustable) प्रतिरोध लगाकर, आवश्यक गति नियन्त्रण प्राप्त किया जाता है।


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